पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को पवित्र काली बेईं की सफाई की 25वीं वर्षगांठ पर राज्य के लोगों से भूजल संरक्षण और पर्यावरण सुरक्षा का संकल्प लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हम सब मिलकर अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाएं और इस मुहिम को एक जन आंदोलन बनाएं।
यह कार्यक्रम राज्यसभा सांसद और पर्यावरणविद् बलबीर सिंह सीचेवाल की अगुवाई में काली बेईं के किनारे आयोजित किया गया। इसी स्थान से 16 जुलाई 2000 को ग़ुरद्वारा बेर साहिब से ‘कर सेवा’ की शुरुआत हुई थी, जिसने काली बेईं की सफाई का इतिहास रच दिया।
मुख्यमंत्री ने बलबीर सिंह सीचेवाल के प्रयासों की जमकर तारीफ़ करते हुए कहा, “165 किलोमीटर लंबी काली बेईं की सफाई सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के लिए एक मिसाल है। ये काम इतिहास में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।”
पंजाब में गहराता जल संकट
सीएम मान ने बताया कि भले ही पंजाब को नदियों की धरती कहा जाता है, लेकिन आज यहां जल संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने कहा, “जब मैंने मुख्यमंत्री पद संभाला था, तब सिर्फ 21% नहरों का पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल हो रहा था, लेकिन अब ये आंकड़ा 63% तक पहुंच चुका है।”
उन्होंने कहा कि हम अपने गुरुओं की उन शिक्षाओं को भूल गए हैं, जो हवा, पानी और मिट्टी की पवित्रता के बारे में बताती हैं। “अब वक़्त है कि हम गुरबाणी का सार समझें और पंजाब की पर्यावरणीय और आध्यात्मिक विरासत को दोबारा ज़िंदा करें,” उन्होंने कहा।
जन भागीदारी ज़रूरी
सीएम मान ने लोगों से सरकार की योजनाओं में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकार के प्रयासों से कुछ नहीं होगा, जब तक जनता खुद आगे न आए। “ये सिर्फ एक समारोह नहीं है, बल्कि ये सालगिरह हमें आने वाली पीढ़ियों के लिए कुछ करने की प्रेरणा देनी चाहिए,” उन्होंने कहा।
सुल्तानपुर लोधी के विकास के लिए बड़ी योजनाएं
मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि सुल्तानपुर लोधी, जो गुरु नानक देव जी से जुड़ा पवित्र स्थल है, उसके समग्र विकास के लिए करोड़ों रुपये की योजनाएं चल रही हैं। उन्होंने कहा कि यह शहर पंजाब की आस्था और पहचान का प्रतीक है और इसे एक आदर्श धार्मिक और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
काली बेईं की सफाई की 25वीं वर्षगांठ सिर्फ अतीत की सफलता को याद करने का मौका नहीं, बल्कि आने वाले कल को सुरक्षित करने का संकल्प लेने का भी दिन है। सीएम मान का संदेश साफ है – अब नहीं चेते, तो बहुत देर हो जाएगी।